स्टडी टिप्स for Exam Preparation

 

प्रत्येक छात्र का सपना होता है कि वो पढ़ाई करके अपने भविष्य को सुरक्षित करे. इसलिए आज मैं आपको लिए स्टडी टिप्स के बारे में और पढ़ाई में मन कैसे लगाए की जानकारी देने वाली हूँ| और हाँ मैं Exam Preparation  के बारे में भी कुछ Tips शेयर करूँगी| अगर आप इन टिप्स को फोलो करेंगे तो यह पक्का है कि आपके Score में कम से कम 10% की Improvement जरूर होगी.



1.   45 मिनट से ज्यादा लगातार पढ़ाई न करें।पढ़ाई के बीच-बीच में ब्रेक होना बहुत जरूरी है। 45-60 मिनट के बाद 5-10 मिनट का ब्रेक ज़रूर लें, इससे दिमाग ताज़ा रहता है।

2. जब आप पढ़ाई करें तो पहले लक्ष्‍य निर्धारित कर दें और लक्ष्‍य पूरा होने पर अपनी मेहनत के लिए स्वयं को शाबाशी दें।

3.  जब कभी भी आपका ध्यान भटकने लगे तो उसे रोकें और अपने टाइम टेबल पर फोकस करें।

4. अपने शरीर को समझें (Understand Your Body)
कुछ लोग सुबह के समय ज्यादा मन लगा कर  पढ़ पाते हैं तो कुछ को रात के समय पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है| इसीलिए आप तय करे की आपको कब याद हो रहा है, आप कब कम्फर्टेबल हैं और उसी समय पढाई करे।  आपका मन भी लगेगा और आपके अच्छे नम्बर भी आयेगे। आप अपने हिसाब से अपने पढ़ने का समय चुनें|

5.   पर्याप्त और अच्छी नींद लें (Get enough and Good sleep)
मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए अच्‍छी नींद बहुत जरूरी है। जरूरत के हिसाब से प्रतिदिन 7-8 घंटा रात को ज़रूर सोना चाहिए।

6. हेल्‍दी खाना खाएं (Eat Healthy Food)
स्‍वस्‍थ रहने और पढ़ाई के लिए अच्छा खाना भी जरूरी है। फल, सब्जी, और ड्राई फ्रूट्स खाने से दिमाग की शक्ति बढती है। बैलेंस्ड डाइट से पढ़ाई में मन भी लगता है। जंक फूड्स  न खाएं क्योंकि इससे मेंटल कंसंट्रेशन कम होता है|

7. ये बात देखे की किस चीज से अधिक नम्बर मिल सकते है। वो कौन सा टॉपिक है जो अधिक वेटेज रखता है। उसके ऊपर अधिक फोकस करे ।हर इंसान का कोई ना कोई एक विषय कमजोर होता है लेकिन उसके एवज में दूसरा विषय मजबूत होता है जो की कमजोर वाले विषय का नम्बर कवर कर देता है। आपके कमजोर वाले सब्जेक्ट को थोडा मजबूत और फेवरेट  सब्जेक्ट को और अधिक बेटर बनाये ।


8. छोटे-छोटे गोल्स बनाओ जैसे- Pythagoras Theorem या फिर Parts Of Human Brain को समझना। एक टाइम पर एक ही टॉपिक पढ़ो और याद रहे हमें वो बस समझना नहीं है पर हमें वो Concept दूसरे को अच्छी तरह पढ़ाना और उसे अपने फ्रेंड्स को समझाना भी आना चाहिए।जब हम दुसरो को पढ़ाते है तब हमारा ब्रेन और भी अच्छे से Concept को समझ पाता है और याद रख पाता है।

9. सबसे Important Tips पढ़ाई करने बैठें, तो अपने स्मार्टफोन को साइलेंट मोड में और खुद से दूर रखें। पास रखेंगे, तो आप बार-बार कभी फेसबुक नोटीफिकेशन तो कभी व्हाट्सऐप चेक करने का मन होगा।

10.             आपको अपने Notes तैयार करने चाहिए ताकि Exam के समय इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स को आसानी से एक नजर में देख सकें.पूरी किताब पलटने की जरुरत न पड़े. चैप्टर में हाइलाइट करनेकी आदत डालें। इसके लिए टेक्स्ट लाइनर, पेंसिल का प्रयोग करें। चैप्टर पढ़ते समय आपके मन में जो आयडिया या नए शब्द उपजते हैं उन्हें फुटनोट में पेंसिल से लिख लें।

11.              दिनभर में जो पढ़ा उसकी एक समरी और ब्रीफ नोट्स बनाएं। दिनभर का पढ़ा हुआ रात को एक बार दोबारा सरसरी तौर पर देखें। ग्राफिक्स, चार्ट और ड्राइंग का भरपूर इस्तेमाल करें। चीजों को समझने के लिए खुद ग्राफ, चार्ट और ड्राइंग तैयार करें।

12.             अगर किसी विषय विशेष में मन न लग रहा हो, तो उस वक्त कोई दूसरा पसंदीदा विषय पढ़ें।

13.             अपने पास सिलेबस रखें| स्टार्टिंग में आपका पूरा फोकस सबसे पहले सिलेबस कम्प्लीट करने पर होना रें। इसके लिए आपको पूरा सिलेबस प्रिंटेड फॉर्म में अपने पास रखना चाहिए

14.             वर्तमान में जियो: ऐसा होता है जब भी हम पढाई करने के लिए बैठते हैं तब हमारे दिमाग में movies, gaane, Games जैसे कई विचार आते हैं. जब हम अपने परिवार के साथ होते हैं तब हमें अपने मित्रों की चिंता होती है, और जब हम अपने दोस्तों के साथ होते हैं तब हम अपने school की Homework की चिंता करते हैं.ऐसा इसलिए होते है क्योंकि हमारा मन स्थिर नहीं होता. मन को स्थिर करने के लिए हमें योग की सहायता लेनी चाहिए, क्योंकि योग और अभ्यास से ही हम अपने मन के ऊपर स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं जिससे हम मन को महत्वपूर्ण कार्य में नियोजित कर सकते हैं|

15.             परीक्षायें और कठिनायें जीवन के अंग: हमेशा हमें परीक्षा का मुख्य उद्देश्य को समझना चाहिए, परीक्षा एक मापदंड है जिससे की हम अपनी तैयारी को परख सकते हैं. यहाँ एक ध्यान देने वाली बात यह है की कोई भी परीक्षा आखिरी परीक्षा नहीं होती. जीवन में हमें ऐसे अनेकों परीक्षायें देनी होगी, यदि हम एक परीक्षा की नतीजे से मायूस हो जाएँ तो हमें परीक्षा से डर और घृणा लगनी आरम्भ हो जाएगी जो की हमारे लिए बिलकुल भी अच्छी नहीं है. ये सोचिये की परीक्षाएं और कठिनायें हमारे जीवन का हिस्सा है और इसी से ही हमारे व्यक्तित्व की असली पहचान होती है.


टॉपर छात्रों का स्‍टडी प्‍लान और स्‍ट्रेटजी |

 टॉपर छात्रों का स्‍टडी प्‍लान और स्‍ट्रेटजी   |  

मुख्य बातें

  • टॉपर छात्रों की स्‍टडी प्‍लान में होती है काफी समानता
  • टॉप छात्र करते हैं रेगुलर रीव्यू व रिवीजन पर फोकस
  • बेहतर करने के लिए सेल्‍फ डिसिप्लिन और स्‍ट्रेटेजी जरूरी

Toppers Study Tips in Hindi: पढ़ाई या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के मन में सबसे बड़ा प्रश्‍न होता है टॉपर टॉप कैसे करते हैं? वे किस तरह से पढ़ाई करते और और किस तरह का पढ़ाई की स्‍ट्रेटेजी बनाते हैं? यह सही है कि पढ़ाई करने के लिए कोई सौ फीसदी सही फॉर्मूला नहीं है। हर किसी का पढ़ाई करने का अपना अलग स्‍टाइल व प्‍लान होता है, लेकिन यह भी सही है कि टॉप करने वाले ज्‍यादातर छात्र-छात्राओं के प्‍लान में काफी हद तक समानता होती है। टॉपर छात्र अपनी स्टडी स्ट्रेटेजी की बदौलत ही टॉप पोजिशन तक पहुंचते हैं। यहां पर हम ऐसे ही स्‍टडी स्‍ट्रेटेजी के बारे में बता रहे हैं, जो ज्‍यादातर टॉपर छात्र अपनाते हैं।

1. सिलेबस व एग्‍जाम पैटर्न की समझ

किसी भी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र सबसे पहले उस परीक्षा के सिलेबस व एग्‍जाम पैटर्न को अच्‍छे से समझ यह जानने की कोशिश करते हैं कि उन्हें क्या पढ़ना है। किस टॉफिक पर ज्‍यादा फोकस करना है और किसी टॉपिक पर कम। साथ ही ये किसी विषय को रट्टा मारने की जगह उसे समझने की कोशिश करते हैं।


2. सेल्‍फ डिसिप्लिन

टॉपर स्टूडेंट्स परीक्षा तैयारी के लिए खुद को मोटिवेट कर सेल्फ डिसिप्लिन का अभ्यास करते हैं। ये किसी कार्य के लिए अंतिम समय की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, बल्कि हर कार्य को नियम और समय के अनुसार पूरा करते हैं। जिसके कारण ही इन्‍हें परीक्षा के अंतिम समय में किसी तरह की परेशानी नहीं होती।

3. नोट्स बनाने पर फोकस

ऐसे छात्र अपना हर कार्य व्यवस्थित तरीके से करते हैं। वे अपने साथ हमेशा ऐसे प्लानर रखते हैं, जिसमें डेली रूटीन से लेकर पढ़े गए टॉपिक्‍स का नोट तैयार करते रहते हैं। साथ ही ये खुद को डेली एक टारगेट भी देते हैं। जिसे हासिल करने पर फोकस देते हैं।


4. एक्टिव रीव्यू व रीवाइज

टॉप स्टूडेंट्स रेगुलर पढ़े गए टॉपिक का रीव्यू जरूरत करते हैं। वहीं जो छात्र ऐसा नहीं करते, उन्‍हें बाद में रीव्‍यू के लिए अलग से कई घंटे खर्च करने पड़ते हैं। टॉप स्टूडेंट्स हाई स्‍कोरिंग विषयों पर ज्‍यादा ध्‍यान देते हैं और इसके लिए फ्लैशकार्ड का उपयोग करते हैं।

5. एक्स्ट्रा स्टडी मैटीरियल

माना जाता है कि बगैर एक्स्ट्रा स्टडी मैटीरियल को पढ़े बगैर किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता नहीं मिलती है, क्‍योंकि एग्‍जाम में कुछ प्रश्‍न सिलेबस के बाहर से जरूर आते हैं। ऐसे में एक्स्ट्रा स्टडी मैटीरियल ही काम आते हैं। टॉप स्टूडेंट्स हमेशा एक्स्ट्रा मैटीरियल का पढ़ाई के लिए उपयोग करते हैं। इन छात्रों को अगर कोई टॉपिक ठीक से समझ में नहीं आता तो वे अन्य सोर्स की तलाश करते हैं।



6. जीवन में सफल होने के लिए : एक स्टूडेंट के लिए जरूरी है कि वह एक बड़ा लक्ष्य (Goal) तय करे । केवल पढ़ाई से ही सफलता नहीं मिल जाती है, परीक्षा में टॉप आने के लक्ष्य के साथ भविष्य में उसे क्या बनना है, इसका भी लक्ष्य स्टूडेंट को पहले से ही तय कर लेना चाहिए 

जरूरी नहीं है कि आपको हर दिन आपके पेरेंट्स, टीचर या कोई और पढ़ने के लिए कहे तभी आप पढ़ाई (Study) करेंगे । पढ़ने की तीव्र इच्छा या यूँ कहें कि पढ़ने के प्रति भूख आपको अपने अन्दर खुद जागृत करनी होगी  पका कंसंट्रेशन पॉवर तभी मजबूत हो सकता है जब आप अपने मन पर कंट्रोल कर लेते हैं । इसलिए जरूरी है कि आप अपने मन पर कंट्रोल करें हम सभी Students को स्पष्ट कहना चाहते हैं कि गुण और क्षमता सभी के अन्दर एक समान होते हैं, जरूरत केवल इस बात की होती है कि कौन अपने गुण और क्षमता का सही इस्तेमाल करता है और कौन गलत । गुण और अपनी क्षमता को निखारना आपके अपने वश में है 

Panna Dhay, पन्ना धाय

 



पन्ना धाय के बलिदान की कहानी

राजस्थान के इतिहास में जहाँ पद्मिनी के जौहर की अमरगाथाएं, मीरा के भक्तिपूर्ण गीत गूंजते हैं, वहीं पन्नाधाय जैसी मामूली स्त्री की स्वामीभक्ति की कहानी भी अपना अलग स्थान रखती है। आइए जानते हैं वीरांगना पन्नाधाय की सच्ची गाथा जो हर किसी में देशभक्ति को भर देने का जुनून रखती है।

पन्ना धाय राणा साँगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। वे किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। वीरांगना पन्ना धाय का जन्म कमेरी गावँ में हुआ था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना ‘धाय माँ’ कहलाई थी। पन्ना का पुत्र चन्दन और राजकुमार उदयसिंह साथ-साथ बड़े हुए थे। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला था।

इस समय चित्तौड़गढ़ का किला आन्तरिक विरोध व षड्यंत्रों में जल रहा और एक दिन उदयसिंह के पिता महाराजा विक्रमादित्य के चचेरे भाई बनवीर ने एक षड्यन्त्र रच कर एक रात महाराजा विक्रमादित्य की हत्या कर दी और फिर उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा।

एक विश्वस्त सेवक द्वारा पन्ना धाय को इसकी पूर्व सूचना मिल गई। पन्ना राजवंश और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उदयसिंह को बचाना चाहती थी। उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे जूठी पत्तलों से ढककर एक विश्वास पात्र सेवक के साथ महल से बाहर भेज दिया।

बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र को उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उसके बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंग की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला।

पन्ना अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी।

पुत्र की मृत्यु के बाद पन्ना उदयसिंह को लेकर बहुत दिनों तक  शरण के लिए इधर-उधर भटकती रही पर दुष्ट बनबीर के डर से कई राजकुलों ने पन्ना को आश्रय नहीं दिया। फिर आखिरकार कुम्भलगढ़ में उसे शरण मिल गयी। उदयसिंह क़िलेदार का भांजा बनकर बड़ा हुआ। तेरह वर्ष की आयु में मेवाड़ी उमरावों ने उदयसिंह को अपना राजा स्वीकार कर लिया और उसका राज्याभिषेक कर दिया। उदय सिंह 1542 में मेवाड़ के वैधानिक महाराणा बन गए।

स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य हैं! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आँखों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया।

दानवीर कर्ण और भगवान श्री कृष्ण

 

बात उन दिनों की है जब महाराज युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ पर राज करते थे, राजा होने के नाते वे काफी दान आदि भी करते थे ! धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि दानवीर के रूप में फैलने लगी और पांडवो को इसका अभिमान होने लगा|



कहतें हैं कि भगवान दर्पहारी हैं| अपने भक्तों का अभिमान तो उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं|

यह ठीक है कि श्री कृष्ण पांडवों के अभिन्न मित्र थे लेकिन फिर भी वह किसी के प्रति पक्षपात नहीं रखते थे ।अगर उन्हें पांडवों की कोई बात बुरी लगती थी या गलत मालूम देती थी तो वह पांडवों को उसके बारे में अवगत कराते थे ! श्री कृष्ण को आभास  हो गया था कि पांडवों को अपनी दानवीरता का अभिमान हो गया है|


एक बार कृष्ण इंद्रप्रस्थ पहुँचे!भीम व् अर्जुन ने युधिष्ठिर की प्रशंसा शुरू की कि वे कितने बड़े दानी हैं !

तब कृष्ण ने उन्हें बीच में ही टोक दिया और कहा, लेकिन हमने कर्ण जैसा दानवीर ना तो देखा और ना ही सुना !

अर्जुन से न रहा गया और उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछ ही लिया कि आप धर्मराज युधिष्ठिर के रहते हुए कर्ण की प्रशंसा क्यों करते हैं ?

श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया कि धीरज रखो ।कुछ समय बाद तुम्हें उत्तर मिल जाएगा ।

कुछ दिनों बाद पूर्व योजनानुसार एक दिन श्रीकृष्ण अर्जुन को लेकर साधू का भेष बदलकर धर्मराज युधिष्ठिर के द्वार पर पहुंचे । उन्होंने धर्मराज से कहा कि हमें यज्ञ – हवनादि करने के लिए एक मन चन्दन की सूखी लकड़ियाँ चाहिए । महाराज युधिष्ठिर ने साधुओं का स्वागत सत्कार किया और अतिथिगृह में प्रतीक्षा के लिए बिठा दिया ।

वर्षाकाल था अतः सभी जगह की लकड़ियाँ गीली हो चुकी थी । फिर भी महाराज युधिष्ठिर ने नगर में अपने सेवक भेजे तथा लकड़ियों की व्यवस्था करने की कोशिश की । सेवक सभी जगह भटक कर आ गए किन्तु एक मन चन्दन की लकड़ियाँ नहीं जुटा सके । और मिल भी कैसे सकती थी !

 

जितनी थोड़ी लकड़ियाँ वो जुटा सके थे, उन्हें लेकर महाराज युधिष्ठिर साधुओं के भेष में आये भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के पास पहुंचे । धर्मराज बोले – “ महात्माओं ! आपके एक मन चन्दन की लकड़ियों की व्यवस्था करने में मैं असमर्थ हूँ, आप चाहे तो कुछ और मांग सकते है ।”

 

इस पर साधू के भेष में खड़े श्रीकृष्ण बोले – “ चन्दन नहीं मिल सकता तो कोई बात नहीं । हम कहीं और से व्यवस्था कर लेंगे । प्रणाम !” यह कहकर वो दोनों चल दिए ।

यहाँ से सीधा वह दोनों कर्ण के द्वार पर पहुंचे । वहां भी उन्होंने एक मन चन्दन की लकड़ियों की मांग की । कर्ण ने भी पहले तो अपने अनुचरों को यहां-वहां भेजकर चंदन की लकड़ी मंगवाने का प्रयत्न किया लेकिन फिर जब सब ने आकर के मना कर दिया कि सूखी लकड़ी मिल पाना संभव नहीं है तो कर्ण ने दोनों साधुओं से कहा– “आज तो चन्दन की लकड़ियाँ मिलना संभव नहीं है| अगर आप एक दो दिन ठहरे तो व्यवस्था हो सकती है ।


इस पर साधू के भेष में श्रीकृष्ण बोले – “नहीं ! हमें वर्षाकाल में ही यज्ञ करना है, अतः आज ही चाहिए| दे सको तो ठीक अन्यथा हम कहीं और से व्यवस्था कर लेंगे ।”

 कर्ण ने कुछ देर विचार किया और उसके बाद धनुष के ऊपर बाण चढ़ाकर के राज महल के दरवाजे, पलंग और जो भी चंदन की बनी हुयी चीजें थी, उन्हें काट कर के बहुत सारी लकड़ी का ढेर लगा दिया और फिर ब्राह्मण रूप धारी कृष्ण से कहा कि महाराज आपको जितनी लकड़ी चाहिए आप उतनी लकड़ी ले जाइए ।


इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हमें तो सिर्फ एक मन चंदन की लकड़ी चाहिये थी पर आपने तो कीमती दरवाजे ही नष्ट कर डाले । कर्ण ने कहा - महाराज बाहर मूसलाधार बारिश हो रही है ऐसे में सूखी लकड़ी मिलना असंभव है । फिर-फिर आपको तो लकड़ी तत्काल चाहिए थी ना । मैं अतिथि को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहता था ।

यह सुनकर भगवान ने कर्ण को यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया और वहाँ से चले आये ।

फिर एकांत पाकर उन्होंने अर्जुन से कहा - अब तो तुम्हें समझ में आ गया होगा कि कर्ण वास्तव में ही दानवीर हैं और प्रशंसा के पात्र हैं।

धर्मराज युधिष्ठिर भी तो यह कर सकते थे लेकिन यह विचार भी उनके मन में नहीं आया।

भगवान ने कहा !साधारण अवस्था में दान देना कोई विशेषता नही है !असाधारण परिस्थिति में किसी के लिए अपने सर्वस्व को त्याग देने का ही नाम दान है !
अन्यथा चन्दन की लकड़ी के खिड़की -द्वार तो युधिष्ठिर के महल में भी थे !

भगवान ने फिर कहा त्याग और परोपकार की भावना व्यक्ति के किसी बड़े काम से नहीं बल्कि छोटे छोटे प्रसंगों में ही झलकनी चाहिए । यह सुनकर अर्जुन के मन का क्षोभ समाप्त हो गया । और पांडवो का वृथा अभिमान भी मिट गया|


भगवान ने गीता में भी कहा है- न मे द्वेष्योस्ति न प्रिय: अर्थात न मेरा कोई प्रिय है न अप्रिय |भगवान् तो सिर्फ न्याय करते हैं, और उनका प्रेम तो उचित पात्र को ही सद्कर्मो के आधार पर मिलता है|


https://youtu.be/UVL-TTBGmhs 

 

Letter to the Editor Class 12

Poem “Geography Lesson” by Zulfikar Ghose

 What is the poem “Geography Lesson” all about?


The poem “Geography Lesson” by Zulfikar Ghose is all about the way earth looks from different altitudes. Here the poet has used the image of a jet airplane to portray this representation of earth in a very clear way.

What geographic lessons did the poet in the jet learn when the jet just take off?

The poem puts forward some general assumptions about the geographic lessons through the taking off of a jet. The moment the jet just took off from the ground it has been understood that the city which the human has developed, has not been well-planned and it grew as per necessity.

What was once most necessary for the emergence of a city in the past?

In the poem, it has been shown that the easy availability of water for drinking to irrigation was the prime reason why civilization flocked around the rivers in the past. Actually, water had been worked as the lifeline as well as the most necessary thing for the emergence of a city in the past.

What was difficult to understand about the earth when the jet had been six miles high?

The moment the jet was six miles high it was difficult to understand by the poet Zulfikar Ghose about the earth was that the human tendency to build borders, to erect walls, to create fences.

What was the poet’s endeavor to bring out about human beings, the earth and learning?


In the poem “Geographic Lessons” the poet’s endeavor to bring out about human beings, the earth and learning were that the human tendency to build borders, to erect walls, to create fences had reflected that the people on earth are selfish and narrow for they hate each other. He found the earth to be one but not the people living on this earth are divided for shallow reasons.

What was the logic of geography given by the poet in the poem?

Reaching the height of ten thousand feet the poet could apprehend the fact that cities had grown water resources. Water fulfilled the necessities like agriculture, transport, business, and others. He found that valleys were populated which had met the necessities of the people. Thus the poet gave logic behind the entire geography of this earth.

How was the human narrow-mindedness encountered by the poet in the poem?

The moment the jet went above six miles, the poet could understand that our earth is having more water than land. Then he reflected that people on earth are selfish and narrow for they hate each other. He found the earth to be one but not the people living on this earth, because they are divided for shallow reasons from each other.

What are the several things reflected through the poem “Geographic Lessons”?

In the poem “Geographic Lessons” the poet Zulfikar Ghose reflected several things like a picture of a city, logic of geography and also a jab of human narrow-mindedness. Through the poem, the poet presented a vivid description of an unplanned city. The city had grown as per its necessity and did not at all grow as per proper planning. It did not have any particular style. It even looked six inches from a certain height revealing its true structure. In fact, when the poet went above ten thousand feet, he could comprehend the fact that the cities grew water resources. Water fulfilled the necessities like agriculture, transport, business, and others. The poet himself found that valleys were populated which met the necessities of the people. And when the jet went above six miles, the poet could understand that our earth is having more water than land. Then he reflected that people on earth are selfish and narrow for they hate each other. He found the earth to be one but not the people living on this earth are divided for shallow reasons.

Briefly, state the lessons of geography delivered through the poem “Geography Lessons”?

The poem “Geography Lessons” by Zulfikar Ghose is divided into three parts – three heights a jet airplane traveled to study about the earth. On reaching each stage, soaring higher and higher, the experts in the plane learned new facts about the earth’s past but only one question remained unanswered. Now we can take into consideration the three stages from where the plane made observations and find the answer to the question that the travelers asked.

At the very first stage meaning at the moment the jet just took off, the passengers in the jet learned about one thing for certain – that is the development the humans have made out of inevitability. In fact, the cities of the past were never planned as they are these days. Cities have emerged at certain places where people lived together around a river for food and safety, which is the main cause of the cities’ haphazard look.

In the second stage, when the jet was above ten thousand feet could notice that the earth’s cities were found located on the banks of the river and a little above the river level, on valleys. Also, the easy availability of water is observable. The availability of water helped from drinking to irrigation. This was the prime reason why civilizations flocked around rivers.

But at the last stage when the jet was above six miles could found some lessons of geography along with inherent human selfishness. When the jet was six miles above, it was difficult to learn why people hate each other, why they build walls across cities and why they kill other people. Here only the poet is trying to bring out the fact that human beings have achieved a lot of knowledge about the earth and beyond. We have learned much about the earth, its shape, the emergence of cities and nations, but we have failed to learn how to love other and live peacefully on this wonderful planet.


Mobile phones: advantages and disadvantages

 Mobile phones: advantages and disadvantages

Most of us nowadays carry the world in our pocket! It is amazing but true. A mobile phone can make us connected to the rest of the world within a second. Today, mothers do not have to remain in tension if their sons or daughters are late. Businessmen do not have to queue up before a telephone booth to make an important call. Apart from making calls and sending SMS, the mobile phone is used as a multipurpose gadget. It is a calculator, time piece, calendar, voice recorder, media player, camera, gaming device, net browser and what not. Though mobile phone is a giant step of technological advancement, its abuses cannot at all be overlooked. Talking or texting while driving may lead to accidents. Students misuse this tool in various ways and give way to social pollution. The invention of mobiles phones is a great achievement and plays an important part in our daily life. Its many aspects are beneficial but some are negative effects as well.

 Its development brought convenience and advantages to the world. Communication between people has become quite easy and very fast. We can keep in contact with others from any place on bus, in a street or in a meeting by sending message for less than the price of a call. Internet can be accessed through it and it is also used to click photos and shoot videos.

At the same time, parents can control their children and it is essential during emergencies. Business deals can be done on a single call through cell phone outside the office, in a park or in any shopping centre. This invention gets the world closer to a single point. Internet is also available on the cell phone.

The radiations of mobile may be dangerous to health and may cause headache, earache and blurring vision. These invisible radiations destroy the cells located in ear and head which cause damage to the brain and nephrons in the head region. Its use at certain places causes disturbance sometimes, such as in a classroom etc. Mobile phones with camera are causing —privacy problems such as using it as a hidden camera to take pictures and making videos.

स्टडी टिप्स for Exam Preparation

  प्रत्येक छात्र का सपना होता है कि वो पढ़ाई करके अपने भविष्य को सुरक्षित करे. इसलिए आज मैं आपको लिए   स्टडी टिप्स   के बारे में और पढ़ाई मे...